Wednesday, 5 March 2014

Maithili Shayari:-बिन अहाँ प्रिय आब रहब हम कोना




दर्द दिलक अहांसँ कहब हम कोना

चोट नेहसँ भरल सहब हम कोना


छोडि असगर जखन दूर रहबै प्रिय

भावमें बिन मिलन बहब हम कोना


ठोरपर चमकैत नव हँसिक मोती

दूर रहिक अहांसँ गहब हम कोना


संग जे नहि देबए अहाँ हमरा

आगु जीवनमें बरहब हम कोना

कहि रहल अछि गजलमें हियसँ 'रवि '

बिन अहाँ प्रिय आब रहब हम कोना

Maithili Ghazal:- लाजसँ लाल भेलौं अहाँ


गजल-५९

लाजसँ लाल भेलौं अहाँ 
आँचरिमे नुकेलौं अहाँ 

सुनु धड़कै करेजा कते 
सोझसँ कात भेलौं अहाँ 

लाजसँ लोल दबने मुदा 
आंखिसँ बाजि गेलौं अहाँ 

कारी आंखि काजर सजल 
जानसँ मारि देलौं अहाँ 

सुनि "नवलक" सिनेहक गजल
सभके छोड़ि एलौं अहाँ

©पंकज चौधरी (नवलश्री)
٠٠•♥ U & I ♥•٠٠

Maithili Shayari:- खंजर नै नैनक उतारल करू




घुरि फिरि ऐना नै निहारल करू

रूपक नै किस्सा बघारल करू




बाँचब नै नेहक त' मारल प्रिये

खंजर नै नैनक उतारल करू




सजि गुजि नित दिन दहाड़े अहाँ

अँतरी ने लोकक ससारल करू




बड मारुक ई केश कारी सघन

फन्दा नै एकर पसारल करू




नेहक टा  "रवि " मारल मतल

बिसरा नै प्रियतम गछारल करू 

Monday, 27 January 2014

Maithili Ghazal:- एहन रंग लगाबू





एहन रंग लगाबू
जँ लगा सकी ,हे सखी
त एहन रंग लगाबू
जाहि सँ
लाल भ जाए नवका उज्जर साड़ी
हरियर भ जाए बंजर परती
पियर भ जाए गरीबक बेटी कए हाथ
कारी भ जाए दहेज लेब बला कए मुँह
भ्रष्टाचारी अत्याचारी इज्जत बेचै बला कए मुँह
गुलाबी भ जाए बाल मजदुरक गाल
नीला भ जाए अंबर अनंत

बहि जाए बेमौसम बसंत
आम जनता खास भ जाए
राति क चैन सँ मिठगर नीन आबैए 

जँ लगा सकी ,हे सखी
त एहन रंग लगाबू 

Maithili Ghazal:- नैन झुकायल नै जाए . . . .




चाँद के ई अनुप रूप देखते-देखते 
नैन झुकायल नै जाए .मन रोकल नै जाए
दाग चन्ना(MOON)मे होई छै तैयो .
हमर चाँन त' सच मे बेदाग छै

चमकैत लाल गाल देखते-देखते
नैन झुकायल नै जाए . . . .
बोली सरगम सुनाबै यै सदिखन .
केश कारी सँ' झहरैत फुहार छै

मद-मस्त भरल यौवन देखते-देखते
नैन झुकायल नै जाए . . . . .

कोन ठाम सँ' आयल ई परी
आई लुट' लेल दिल के खजाना
अमित बहकल ई तिरछी नजैर सँ'
मन रोकल नै जाए नैन झुकायल नै जाए

BY-AMIT MISHRA

Tuesday, 21 January 2014

Maithili Shayari:- नै हमरा अहाँ याद करै छी!

प्रित में हमरा अहाँ,
किए ऐना बर्बाद करै छी,

नै हमरा सँ बात करै छी,
नै हमरा अहाँ याद करै छी!






Maithili Shayari :- हम अपन मुकद्दर बने लेलों!


दिल के पास मs अहाँकें घर बने लेलों,
ख्वाब में अहाँकें हम बसे लेलों,
जून पुछू कतेक “रवि” चाहैत छैथ अहाँ कें,
अहिंक सभ खता कs हम अपन मुकद्दर बने लेलों!